छत्तीसगढ़ राज्य का गठन

 छत्तीसगढ़ राज्य का गठन 

    छत्तीसगढ़ राज्य का गठन एक क्रमिक विकास का परिणाम है।  देश के 26 राज्य के रूप में इसका गठन 1 नवंबर सन 2000 को हुआ था।  तब से प्रत्येक वर्ष छत्तीसगढ़ में 1 नवंबर को राज्योतसव का आयोजन किया जाता है।

    सन 1857 की क्रांति ने संपूर्ण ब्रिटिश सत्ता को हिला कर रख दिया और भारत की ओर नरमी बरतने को सोचने के लिए मजबूर कर दिया।  ब्रिटिश शासन 1857 की क्रांति से बहुत ही सहम गई थी।  जिसके चलते ब्रिटिश सरकार ने यहां की प्रशासनिक इकाइयों के मजबूतीकरण , लोगों के साथ समानता का व्यवहार और कुछ अधिकार देने जैसे विषयों पर सोचने को मजबूर हो गई थी।  

मध्यप्रांत का गठन

     मध्य प्रांत का गठन एक अहम् कदम था।  चूँकि ब्रिटिश शासन यहां केवल अपने स्वार्थ के उद्देश्य से शासन कर रही थी और भारतीय लोगों की पूर्णरूपेण उपेक्षा हो रही थी। ऐसे में सभी वर्ग यथा मजदूर , किसान , साहूकार आदि भी ब्रिटिश सरकार के सख्त नियम कानूनों से त्रस्त हो गई थी। अतः 1857  की क्रांति ने जन्म लिया जैसे तैसे ब्रिटिश सरकार ने 1857 की क्रांति पर काबू पाया। उसके पश्चात उन्होंने यहां के प्रशासनिक एकीकरण या नए सिरे से प्रशासन की विभिन्न इकाइयों को पुनः जोड़ने का प्रयास किया इसी का परिणाम है मध्य प्रांत का गठन। 

     ब्रिटिश भारत के बंगाल प्रेसिडेंसी एवं मुंबई प्रेसिडेंसी के भाग को मिलाकर 1861 में मध्य प्रांत का गठन किया गया। छत्तीसगढ़ भी मध्य प्रांत में शामिल था।  पूर्व में छत्तीसगढ़ मराठों के अधीन नागपुर क्षेत्र का हिस्सा था किंतु 1854  में डलहौजी की हड़प नीति (doctorine of lapse) के चलते यह क्षेत्र ब्रिटिश भारत में शामिल कर लिया गया था।  जब 1861 में मध्य प्रांत (Central Province)  का गठन हुआ तब  छत्तीसगढ़ क्षेत्र के अंतर्गत रायपुर और बिलासपुर जिले बनाए गए थे .

     1862 में  मध्य प्रांत के अंतर्गत छत्तीसगढ़ क्षेत्र को एक संभाग का दर्जा दिया गया जिसका मुख्यालय रायपुर को बनाया गया अब रायपुर ,बिलासपुर एवं संबलपुर को जिला बनाया गया।  इस प्रकार छत्तीसगढ़ क्षेत्र का प्रशासनिक ढांचा निर्मित हुआ।  इस क्षेत्र को छत्तीसगढ़ या रायपुर जिला के नाम से संबोधित किया जाने लगा। आरम्भ में सम्बलपुर बंगाल प्रान्त  का भाग था जिसे मध्य प्रांत में शामिल किया गया। 1905 में जब बंगाल प्रान्त का पुनर्गठन हुआ तो संबलपुर उड़ीसा में शामिल किया गया।  इसी के साथ बंगाल प्रांत के पांच देशी रियासत चांगभखार, कोरिया ,सरगुजा ,उदयपुर  एवं जशपुर को मध्य प्रांत में शामिल किया गया जिससे वर्तमान छत्तीसगढ़ की सीमाएं और स्पष्ट हुई। 

    छत्तीसगढ़ को पृथक राज्य के रूप में देखने की विचारधारा आजादी के पूर्व से ही देखने को मिलती है इसका एक मुख्य उदाहरण है पंडित सुंदरलाल शर्मा।  पंडित सुंदरलाल शर्मा ने ही प्रथम बार 1918 में छत्तीसगढ़ के पृथक राज्य की कल्पना की थी। 

     स्वतंत्रता के समय छत्तीसगढ़ राज्य मध्य प्रांत एवं बरार प्रांत का हिस्सा था छत्तीसगढ़ के अंतर्गत 14 देशी रियासतें आती थी जो निम्नलिखित है 

  1. कोरिया जिला (2) -  चांगभखार एवं कोरिया 
  2. सरगुजा जिला (1) - सरगुजा 
  3. रायगढ़ जिला (3) - उदयपुर या धर्मजयगढ़ ,रायगढ़ एवं सारंगढ़ 
  4. कवर्धा जिला (1) - कवर्धा
  5. राजनांदगांव जिला (3) - छुईखदान, खैरागढ़ एवं राजनांदगांव
  6. जांजगीर-चांपा (1) - सक्ति
  7. कांकेर जिला (1) - कांकेर  एवं 
  8. बस्तर जिला (1) - बस्तर रियासत शामिल थी।  
    बस्तर रियासत छत्तीसगढ़ का सबसे बड़ा रियासत एवं सक्ति रियासत सबसे छोटा रियासत था। 

 स्वतंत्रता के बाद भाषाई आधार पर राज्यों के पुनर्गठन की मांग उठने लगी इसी के चलते दिसंबर 1953 में फजल अली की अध्यक्षता में राज्य पुनर्गठन आयोग गठित हुआ।  इस आयोग ने भाषाई आधार पर राज्यों के पुनर्गठन की मांग को स्वीकार किया। जिसके तहत राज्यों का पुनर्गठन के लिए राज्य पुनर्गठन अधिनियम -1956 पारित हुआ।  भाषाई आधार पर गठित होने वाला प्रथम राज्य आंध्रप्रदेश है।  इसी आधार पर 1 नवंबर 1956 को मध्य प्रदेश का गठन हुआ जिसमें वर्तमान छत्तीसगढ़ भी शामिल था।  मध्य प्रदेश राज्य के अंतर्गत छत्तीसगढ़ क्षेत्र में 6 जिले सरगुजा , बिलासपुर , रायगढ़ , दुर्ग , रायपुर एवं बस्तर बनाए गए जो इस क्षेत्र को प्रशासित करते थे। 

अविभाजित मध्यप्रदेश 


  •      मध्य प्रदेश राज्य के निर्माण के साथ ही छत्तीसगढ़ के पृथक राज्य की मांग ने और जोर पकड़ा छत्तीसगढ़ के पृथक राज्य की मांग को लेकर 28 जनवरी 1956 में डॉ खूबचंद बघेल द्वारा राजनांदगांव जिले में छत्तीसगढ़ महासभा का आयोजन किया गया। 
  •      1967 में राज्यसभा सदस्य रहते हुए डॉ खूबचंद बघेल ने इस विचारधारा को जन आंदोलन का रूप दिया तथा छत्तीसगढ़ भातृसंघ का गठन किया।  धीरे-धीरे इसमें छत्तीसगढ़ के अन्य नेतागण यथा रामाधार कश्यप , चंदूलाल चंद्राकर , प्यारेलाल कवर आदि भी शामिल हुए। 
  •    1998 के संसद के संयुक्त अधिवेशन में राष्ट्रपति K R नारायण द्वारा पृथक छत्तीसगढ़ राज्य बनाने की प्रतिबद्धता व्यक्त की गई थी। इससे पृथक छत्तीसगढ़ राज्य के निर्माण का मार्ग और सुलभ हो गया। 
  •   इस कार्य के लिए मध्यप्रदेश विधानसभा द्वारा 1 मई 1998 को शासकीय संकल्प पारित किया गया।  1 सितंबर 1998 को राष्ट्रपति द्वारा भेजे गए मध्य प्रदेश पुनर्गठन विधेयक 1998 को 40 संशोधनों के साथ मध्यप्रदेश विधानसभा द्वारा वापस राष्ट्रपति को भेज दिया गया। 
  •      25 जुलाई सन 2000 को गृह मंत्री लालकृष्ण आडवाणी द्वारा लोकसभा में मध्य प्रदेश पुनर्गठन विधेयक 2000 प्रस्तुत किया गया तथा यह 30 जुलाई 2000 को लोकसभा द्वारा पारित हो गया।  
  •     9 अगस्त 2000 को राज्यसभा में भी मध्य प्रदेश पुनर्गठन विधेयक 2000 एक संशोधन के साथ (जो राज्यसभा की सीट संबंधी थी) पारित हो गया। 
  •    10 अगस्त सन 2000 को राज्यसभा द्वारा संशोधित विधेयक को पारित कर दिया गया और लोकसभा में पास हो गया इस प्रकार 25 अगस्त सन 2000 को राष्ट्रपति के आर नारायण की अनुमोदन से मध्य प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम 2000 पारित हुआ इसे भारत के राजपत्र में मध्य प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम संख्या 28 वर्ष 2000 के रूप में अधिसूचित किया गया। 
  •  इस प्रकार छत्तीसगढ़ का गठन हुआ। नवगठित छत्तीसगढ़ के अंतर्गत 3 संभाग 16 जिले 96 तहसील एवं 146 विकासखंड शामिल थे  फिर धीरे-धीरे इनका विकास हुआ। 


छत्तीसगढ़ राज्य 

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