भारत का भौतिक स्वरूप ( हिमालय पर्वत श्रृंखला )
भारत एक विशाल देश है यह एशिया महाद्वीप के दक्षिणी भाग में स्थित है इसे एक उपमहाद्वीप की संज्ञा भी दी गई है।भारत विभिन्न भौतिक स्वरूप में विभाजित है । जैसे - पहाड़ , पठार , मैदान , पाठ प्रदेश आदि क्षेत्रों में। विशाल होने के साथ - साथ ही इस का भौतिक स्वरूप भी भिन्न-भिन्न है। विभिन्न स्थलाकृति यहां देखने को मिलते हैं।उत्तर के पर्वती क्षेत्र से लेकर दक्षिण चलते - चलते मैदानी फिर थोड़े बहुत पर्वती क्षेत्र देखने को मिलते हैं।
भारत की भूमि बहुत अधिक भारतीय विभिन्नताओं को दर्शाती है वह भूगर्भीय तौर पर प्रायद्वीपीय पठार का हिस्सा है जो पृथ्वी की सतह का प्राचीनतम भाग है। यह भूमि बहुत ही स्थिर भाग के रूप में माना जाता है। परंतु हाल के भूकम्पों ने इसे गलत साबित किया है। भारत को निम्नलिखित भौगोलिक स्थल आकृतियों में विभाजित किया जा सकता है -
- हिमालय पर्वत श्रृंखला
- उत्तर का मैदान
- प्रायद्वीपीय पठार
- भारतीय मरुस्थल
- तटीय मैदान
- द्वीप समूह
हिमालय पर्वत श्रृंखला
- भारत के उत्तर में फैले विशाल पर्वतीय माला को हिमालय पर्वत श्रेणी के नाम से जाना जाता है। इसका मुख्य विस्तार पश्चिम से पूर्व क्षेत्र की ओर देखने को मिलता है। भूगर्भ वैज्ञानिकों के अनुसार हिमालय पर्वत श्रृंखला एक स्थिर भाग है जो नवनिर्मित पर्वत श्रृंखला है अर्थात हिमालय पर्वत श्रृंखला एक युवा पर्वत श्रृंखला है।
- हिमालय पर्वत श्रृंखला में ऊंचे शिखर गहरी घाटियां तथा तेज बहने वाली नदियां देखने को मिलती है यह मुख्यत: भारत एवं चीन की सीमा का निर्धारण करती है। यह एक वलित पर्वत श्रृंखला है यह पर्वत श्रृंखला पश्चिम से पूर्व की तरफ सिंधु नदी से लेकर ब्रह्मपुत्र नदी तक फैली है। हिमालय विश्व की सबसे ऊंची पर्वत श्रेणी है इसकी लंबाई 2400 km है जो अर्धवृत्त का निर्माण करती हुई फैली है , तथा चौड़ाई कश्मीर क्षेत्र में 400 किलोमीटर तथा पूर्व तक जाते-जाते अरुणाचल प्रदेश क्षेत्र में 150 किलोमीटर तक रह जाती है।
- पश्चिमी भाग के अपेक्षा पूर्वी भाग की ऊंचाइयों में अधिक विविधता देखने को मिलती है हिमालय को अपने देशांतरीय विस्तार अर्थात उत्तर से दक्षिण की ओर में 4 भागों में बांटा जा सकता है
- परा हिमालय या ट्रांस हिमालय
- महान हिमालय या आंतरिक हिमालय या हिमाद्री या वृहद् हिमालय
- हिमाचल या निम्न हिमालय
- शिवालिक या बाह्य हिमालय
परा हिमालय या ट्रांस हिमालय
- यह हिमालय की सबसे प्राचीन श्रेणी है।
- यह कराकोरम श्रेणी, लद्दाख श्रेणी और कैलाश श्रेणी के रूप में हिमालय की मुख्य श्रेणियों और तिब्बत के बीच स्थित है।
- ये भारत की सबसे उत्तरीय पर्वत श्रेणी है ।तिब्बत में इसे कैलाश पर्वत श्रेणी के नाम से जाना जाता है ।इसी पर्वत श्रेणी में K2 (गॉडविन ऑस्टिन) पर्वत चोटी है जो विश्व में दूसरे स्थान की सबसे ऊँची चोटी है।
- वर्तमान में ये पाक अधिकृत कश्मीर में है। भारत की सबसे ऊँची चोटी कंचनचंघा (सिक्किम) में है ।इस पर्वत श्रेणी में महत्वपूर्ण ग्लेशियर निम्नलिखित है ।
- सियाचिन ग्लेशियर
- यारकंद रिमो ग्लेशियर
- बाल्तोरो ग्लेशियर
- फेदचेंका ग्लेशियर
- लद्दाख पर्वत श्रेणी के अंतर्गत
- इसके दोनों तरफ नदी बहती है। श्योक नदी व सिंधु नदी ।
- लद्दाख श्रेणी के पास लेह है जोकि सिंधु नदी के किनारे बसा हुआ है ।
- राका कोशी (सबसे तीव्र ढलान वाला पर्वत) यही है ।
- जासकर पर्वत श्रेणी भी ट्रांस हिमालय का ही भाग है ।
महान हिमालय या आंतरिक हिमालय या हिमाद्री या वृहद हिमालय
- यह सबसे अधिक सतत शृंखला है जिसमें 6000 मी. ऊंचाई तक के शिखर मौजूद है।
- ट्रांस और वृह्द हिमालय के बीच की जगह को शचर जोन कहते है ।
- वृहद हिमालय, मध्य हिमालय एवं शिवालिक हिमालय में से वृहद हिमालय सबसे ऊँचा है । इसी औसत ऊँचाई 6000 मी0 है ।चौड़ाई 120 मी0 से 192 मी0 है। चौड़ाई पश्चिम से पूर्वी की तरफ घटती जाती है । ढलान पश्चिम से पूर्व की तरफ बढ़ती जाती है ।
- इसी कारण से पूर्व की तरफ की नदी कोसी में (ढलान अधिक होने के कारण ) हर वर्ष बाड़ आ जाती है ।पश्चिम में नागा पर्वत (पाकिस्तान) से पूर्व में नामचाबारवा पर्वत (जिब्बत) तक फैला हुआ है ।
- काफी सारे ऊँचे पर्वत वृहद हिमालय में आते है ।माउंट एवरेस्ट को अलग अलग देशों में अलग अलग स्थानीय नामों से भी जाना जाता है । नेपाल में सागर माथा कहा जाता है ।म्यांमार में अराकान योमा कहा जाता है । तिब्बत में चोमोलुंगमा कहते है जिसका अर्थ है पर्वतों की रानी ।इसके अन्तर्गत दो ग्लेशियर आते है । गंगोत्री ग्लेशियर तथा यमुनोत्री ग्लेशियर ।
हिमाचल या निम्न हिमालय
- इसकी औसत ऊँचाई 3700 मी0 से 4500 मी0 तथा चैड़ाई 80 कि0मी0 से 100 कि0मी0 है ।
- इसका विस्तार नेपाल तक ही है । क्योंकि हिमालय पर्वत की मोटाई पश्चिम में अधिक और पूर्व में कम है इसलिए यह हिमालय श्रृंखला नेपाल तक ही सीमित हो जाती है ।
- यह पर्वत श्रृंखला 5 भागो में बँटी हुई है –
- पीर पंजाल पर्वत श्रेणी- जम्मू कश्मीर
- धौला गिरी- हिमाचल प्रदेश
- मंसूरी- उत्तराखण्ड
- महाभारत श्रेणी- नेपाल
- नागटिब्बा श्रेणी- नेपाल
- सर्दियों में बर्फ से ढ़का रहता है और गर्मियों में बर्फ पिघल जाती है और गर्मियों में घास उग जाती है ।इन्हीं घास के मैदानों को मर्ग या बुग्याल या प्याल कहा जाता है ।
- मध्य हिमालय और वृहद हिमालय के बीच की जगह को घाटी कहा जाता है ।श्रीनगर एक घाटी है जो वृहद हिमालय और मध्य हिमालय के बीच में है । वूलर झील और डल झील इन्ही घाटियों में है । चुम्भी घाटी सिक्किम में है ।कुल्लू कांगडा घाटी हिमाचल प्रदेश में है ।
शिवालिक या बाह्य हिमालय
- सबसे बाहरी और नवीन हिमालय है ।इसकी ऊँचाई 900 मी0 से 1200 मी0 तथा चौड़ाई 10 कि0मी0 से 50 कि0मी0 है ।
- मध्य हिमालय और शिवालिक हिमालय के बीच पाई जाने घाटियों को दून या द्वार कहा जाता है । जैसे देहरादून, हरिद्वार ।
- मौसम अच्छा एवं कृषि योग्य भूमि पाई जाती है । इसलिए यहां अधिक लोग यहां रहते है ।शिवालिक पर्वत के निचले भाग को तराई कहते है जो वनाच्छादित तथा दलदली रहता है ।
- इसके पश्चिम से सिंधू गार्ज है एवं पूर्व में दिहांग गार्ज है । नदी द्वारा पहाड़ों के बीच बनाया गया रास्ता(झरने की तरह) को गार्ज कहा जाता है ।
हिमालय पर्वत श्रृंखला का पश्चिम से पूर्व की ओर विभाजन
हिमालय पर्वत श्रृंखला का पश्चिम से पूर्व की ओर विभाजन में हिमालय को 4 भागों में बाटा गया है –- पंजाब या कश्मीर हिमालय
- कुमाऊँ हिमालय
- नेपाल हिमालय
- असम हिमालय
1 ) पंजाब हिमालय (कश्मीर हिमालय)
- सिंधु नदी व सतलुज नदी के बीच का भाग पंजाब या कश्मीर हिमालय कहा जाता है ।
- इसकी लम्बाई 560 कि0मी0 है ।
- पंजाब, हिमाचल एवं कश्मीर का भाग इसके अन्तर्गत आते है ।
- मानसरोवर का राकसताल(जहां से सतलुज नदी नीकलती है) इसी के अन्तर्गत आते है ।
- देवदार, ब्लू पाइन, स्प्रेस, सिलवर जूनिपर आदि वनस्पतियां पाई जाती है ।
2) कुमाऊँ हिमालय
- सतलुज नदी से काली नदी (उत्तराखण्ड व नेपाल बोर्डर पर) तक का हिस्सा कुमायूँ हिमालय कहलाता है।
- लम्बाई 320 कि0मी0 सबसे छोटा यही है ।
3) नेपाल हिमालय
- काली नदी से तीस्ता नदी तक का हिस्सा नेपाल हिमालय कहलाता है ।
- लम्बाई 800 कि0मी0 है ।
- औसत ऊँचाई 6250 मी0 है ।
- सर्वाधिक ऊँची पहाड़ियां इसे के अन्तर्गत आती है ।
- सिक्किम और दार्जिलिंग इसी के अन्तर्गत आते है ।
- काठमांडू घाटी इसी के अन्तर्गत आती है ।
4) असम हिमालय
- तीस्ता नदी से लेकर के दिबांग नदी तक के हिस्से को असम हिमालय कहा जाता है ।
- लम्बाई 750 कि0मी0
- नागा पहाड़ी इसके अन्तर्गत आती है ।
- कोहिमा एवं मणीपुर, इम्फाल इसी के अन्तर्गत आते है ।
- खासी, जयन्ती, झफला आदि पहाड़िया इसी के अन्तर्गत आती है ।
- जूनीपर, ओक, मैपिल, एल्डर एवं विलो आदि वनस्पतियां यहां पाई जाती है ।
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